Saturday 2 June 2012

काश ! ऐसा होता...

काश ! ऐसा होता...
आज हर कोई ये सोचता है,
अगर मैं ये होता, तो वो करता l
मेरे हाथ में पॉवर होता, तो
अपराधी और अपराध नहीं होता;
भ्रष्ट लोग और भ्रष्टाचार नहीं होता;
महंगाई और बेरोजगारी नहीं होती;
गरीबी और बेगारी नहीं होती;
बीमार और बीमारी नहीं होती;
स्वशासन और सुशासन होता;
ईमानदार  और स्वच्छ प्रशासन होता;
जनता और नेताओं में अनुशासन होता;
देश - कोस में खुशहाली होती;
चारों तरफ सुख - समृधि होता;
न काला धन, ना चोरबाजारी होती;
प्रगति में सबकी हिस्सेदारी होती l 
सोचता हूँ काश ! ऐसा होता...
काश ! ऐसा होता...काश ! ऐसा होता...

कुमार ठाकुर 
२ जून २०१२ 
© कुमार ठाकुर । बिना लिखित अनुमति इन कविताओं का कहीं भी किसी भी प्रारूप में प्रयोग करना वर्जित है

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